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दिल शीशा

भूल जाइए दौर उम्र का,

दिल के शीशे में मुस्काओ।

बैठा है छोटा सा बच्चा,

जाँचो परखो समझाओ।


कभी धड़कना कम कर देता,

धक-धक कभी बढ़ाता है।

सुबह शाम व्यायाम करिए,

नंगे पाँव घुमाता है।


ये मत भूलो दिल बच्चा है,

बच्चे बन हरकत करिए।

मन प्रफुल्लित सदा रहेगा,

दो चक्कर मंदिर करिए।


मन जाता है मथुरा काशी,

थोड़ा तुम विचरण करिए।

सपनों में भी सजती दुनिया,

खुश रहकर सबसे मिलिए।


चार दिन की है जिंदगानी,

दो बचपन दो सफेद है।

दिन जवानी तुरत बीत ग‌ए,

बूढ़ा तन तो स्यापा है।


दिल बच्चा रहता है हरदम,

बहत्तर बार धड़कता है।

मरते दम तक रंग न फीका,

हर पल कार्य करता है।


बालों में कब आई चांदी,

बीत गए कितने सावन।

कब किस कमसिन पर आ जाए,

दिल 'श्री' बच्चा वय बावन।


स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"

धौलपुर (राजस्थान) 

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3 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Reena yadav

23-Aug-2023 06:43 AM

👍👍

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Sarita Shrivastava "Shri"

22-Aug-2023 10:14 PM

👌👌

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